EDUCATIONAL
सोमवार, 22 जून 2020
गुरुवार, 5 मार्च 2020
बुधवार, 12 फ़रवरी 2020
शिक्षाप्रद कहानी : ज्ञानवान सुकरात के 3 सवाल
प्राचीन यूनान में सुकरात नाम के विद्वान हुए हैं। वे ज्ञानवान और विनम्र थे। एक बार वे बाजार से गुजर रहे थे तो रास्ते में उनकी मुलाकात एक परिचित व्यक्ति से हुई। उन सज्जन ने सुकरात को रोककर कुछ बताना शुरू किया। वह कहने लगा कि 'क्या आप जानते हैं कि कल आपका मित्र आपके बारे में क्या कह रहा था?'
सुकरात ने उस व्यक्ति की बात को वहीं रोकते हुए कहा - सुनो, भले व्यक्ति। मेरे मित्र ने मेरे बारे में क्या कहा यह बताने से पहले तुम मेरे तीन छोटे प्रश्नों का उत्तर दो। उस व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा - 'तीन छोटे प्रश्न'।
सुकरात ने कहा - हां, तीन छोटे प्रश्न।
पहला प्रश्न तो यह कि क्या तुम मुझे जो कुछ भी बताने जा रहे हो वह पूरी तरह सही है?
उस आदमी ने जवाब दिया - 'नहीं, मैंने अभी-अभी यह बात सुनी और ...।'
सुकरात ने कहा- कोई बात नहीं, इसका मतलब यह कि तुम्हें नहीं पता कि तुम जो कहने जा रहे हो वह सच है या नहीं।'
अब मेरे दूसरे प्रश्न का जवाब दो कि 'क्या जो कुछ तुम मुझे बताने जा रहे हो वह मेरे लिए अच्छा है?'
आदमी ने तुरंत कहा - नहीं, बल्कि इसका ठीक उल्टा है।
सुकरात बोले - ठीक है। अब मेरे आखिरी प्रश्न का और जवाब दो कि जो कुछ तुम मुझे बताने जा रहे हो वह मेरे किसी काम का है भी या नहीं।
व्यक्ति बोला - नहीं, उस बात में आपके काम आने जैसा तो कुछ भी नहीं है।
तीनों प्रश्न पूछने के बाद सुकरात बोले - 'ऐसी बात जो सच नहीं है, जिसमें मेरे बारे में कुछ भी अच्छा नहीं है और जिसकी मेरे लिए कोई उपयोगिता नहीं है, उसे सुनने से क्या फायदा। और सुनो, ऐसी बातें करने से भी क्या फायदा।
प्रेरक कहानी : नर्तकी के एक दोहे ने बदला जीवन...
* प्रेरणादायी कहानी : राजा, गुरु और नर्तकी..
राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्राएं अपने गुरु को दी ताकि नर्तकी के अच्छे गीत नृत्य पर वे उसे पुरस्कृत कर सके। सारी रात नृत्य चलता रहा। सुबह होने वाली थीं, नर्तकी ने देखा कि मेरा तबले वाला ऊंघ रहा है, उसको जगाने के लिए नर्तकी ने एक दोहा पढ़ा...
'बहु बीती, थोड़ी रही, पल-पल गई बिहाई।
एक पलक के कारने, ना कलंक लग जाए।'
अब इस दोहे का अलग-अलग व्यक्तियों ने अलग-अलग अपने-अपने अनुरूप अर्थ निकाला। तबले वाला सतर्क होकर तबला बजाने लगा। जब ये बात गुरु ने सुनी, तो उन्होंने सारी मोहरे उस मुजरा करने वाली को दे दी। वही दोहा उसने फिर पढ़ा तो राजा की लड़की ने अपना नवलखा हार उसे दे दिया। उसने फिर वही दोहा दोहराया तो राजा के लड़के ने अपना मुकुट उतार कर दे दिया।
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वहीं दोहा वह बार-बार दोहराने लगी, राजा ने कहा- बस कर! तुमने वेश्या होकर एक दोहे से सबको लूट लिया है।
जब यह बात राजा के गुरु ने सुनी तो गुरु के नेत्रों में पानी आ गया और कहने लगा, 'राजा इसको तू वेश्या न कह, ये अब मेरी गुरु है। इसने मेरी आंखें खोल दी है कि मैं सारी उम्र जंगलों में भक्ति करता रहा और आखिरी समय में मुजरा देखकर अपनी साधना नष्ट करने आ गया हूं, भाई मैं तो चला!
राजा की लड़की ने कहा, 'आप मेरी शादी नहीं कर रहे थे, आज मैंने आपके महावत के साथ भाग कर अपना जीवन बर्बाद कर लेना था। इसने मुझे सुमति दी है कि कभी तो तेरी शादी होगी। क्यों अपने पिता को कलंकित करती है?'
राजा के लड़के ने कहा, 'आप मुझे राज नहीं दे रहे थे। मैंने आपके सिपाहियों के साथ मिलकर आपका कत्ल करवा देना था। इसने समझाया है कि आखिर राज तो तुम्हें ही मिलना है, क्यों अपने पिता के खून का कलंक अपने सिर लेते हो?
जब यह सारी बातें राजा ने सुनी तो राजा को भी आत्मज्ञान हुआ क्यों न मैं अभी राजकुमार का राज तिलक कर दूं, गुरु भी मौजूद है। उसी समय राजा ने अपने बेटे का राजतिलक कर दिया और लड़की से कहा- 'बेटी, मैं जल्दी ही योग्य वर देख कर तुम्हारा भी विवाह कर दूंगा।'
यह सब देख कर मुजरा करने वाली नर्तकी ने कहा कि, मेरे एक दोहे से इतने लोग सुधर गए, मैं तो न सुधरी। आज से मैं अपना धंधा बंद करती हूं। हे प्रभु! आज से मैं भी तेरा नाम सुमिरन करूंगी।
सीख : समझ आने की बात है, दुनिया बदलते देर नहीं लगती। एक दोहे की दो लाइनों से भी ह्रदय परिवर्तन हो सकता है।
प्रेरणादायी कहानी : एक गणिका ने सुलझायी अनोखी पहेली...
शोहरत सुनकर एक किसान उनके पास आया और उसने पूछ लिया- पंडित जी आप हमें यह बताइए कि पाप का गुरु कौन है?
प्रश्न सुन कर पंडित जी चकरा गए, उन्होंने धर्म व आध्यात्मिक गुरु तो सुने थे, लेकिन पाप का भी गुरु होता है, यह उनकी समझ और ज्ञान के बाहर था।
पंडित जी को लगा कि उनका अध्ययन अभी अधूरा रह गया है। वह फिर काशी लौटे। अनेक गुरुओं से मिले लेकिन उन्हें किसान के सवाल का जवाब नहीं मिला।
अचानक एक दिन उनकी मुलाकात एक गणिका (वेश्या) से हो गई। उसने पंडित जी से परेशानी का कारण पूछा, तो उन्होंने अपनी समस्या बता दी।
गणिका बोली- पंडित जी ! इसका उत्तर है तो बहुत सरल है, लेकिन उत्तर पाने के लिए आपको कुछ दिन मेरे पड़ोस में रहना होगा।
पंडित जी इस ज्ञान के लिए ही तो भटक रहे थे। वह तुरंत तैयार हो गए। गणिका ने अपने पास ही उनके रहने की अलग से व्यवस्था कर दी।
पंडित जी किसी के हाथ का बना खाना नहीं खाते थे। अपने नियम-आचार और धर्म परंपरा के कट्टर अनुयायी थे।
गणिका के घर में रहकर अपने हाथ से खाना बनाते खाते कुछ दिन तो बड़े आराम से बीते, लेकिन सवाल का जवाब अभी नहीं मिला। वह उत्तर की प्रतीक्षा में रहे।
एक दिन गणिका बोली- पंडित जी ! आपको भोजन पकाने में बड़ी तकलीफ होती है। यहां देखने वाला तो और कोई है नहीं। आप कहें तो नहा-धोकर मैं आपके लिए भोजन तैयार कर दिया करूं।
पंडित जी को राजी करने के लिए उसने लालच दिया- यदि आप मुझे इस सेवा का मौका दें, तो मैं दक्षिणा में पांच स्वर्ण मुद्राएं भी प्रतिदिन आपको दूंगी।
स्वर्ण मुद्रा का नाम सुनकर पंडित जी विचारने लगे। पका-पकाया भोजन और साथ में सोने के सिक्के भी ! अर्थात दोनों हाथों में लड्डू हैं।
पंडित जी ने अपना नियम-व्रत, आचार-विचार धर्म सब कुछ भूल गए। उन्होंने कहा- तुम्हारी जैसी इच्छा, बस विशेष ध्यान रखना कि मेरे कमरे में आते-जाते तुम्हें कोई नहीं देखे।
पहले ही दिन कई प्रकार के पकवान बनाकर उसने पंडित जी के सामने परोस दिया। पर ज्यों ही पंडित जी ने खाना चाहा, उसने सामने से परोसी हुई थाली खींच ली।
इस पर पंडित जी क्रुद्ध हो गए और बोले, यह क्या मजाक है ? गणिका ने कहा, यह मजाक नहीं है पंडित जी, यह तो आपके प्रश्न का उत्तर है।
यहां आने से पहले आप भोजन तो दूर, किसी के हाथ का पानी भी नहीं पीते थे, मगर स्वर्ण मुद्राओं के लोभ में आपने मेरे हाथ का बना खाना भी स्वीकार कर लिया। यह लोभ ही पाप का गुरु है।
क्यों और कैसे चीन को पूरी दुनिया में ‘वायरस का जनक’ माना जाना चाहिए?
इस पूरी बात को समझने के लिए चीन और दुनिया में समय समय पर पसरने वाले वायरस के इतिहास में जाना होगा।
चीन में मानव-जानवर संपर्क
रिपोर्ट और विशेषज्ञों के मुताबिक मीट मार्केट में जानवरों के मांस और ब्लड का ह्यूमन बॉडी से संपर्क होता रहता है। चीन में यह बहुत आम है। ये वायरस के फैलने की सबसे बड़ी वजह है। हाईजीन में जरा भी चूक से वायरस फैल जाता है, जाहिर ही जहां इतने बडे पैमाने पर मांस का सेवन किया जाता है, वहां हाईजीन न के बराबर है।
कुछ रिपोर्ट में वायरस को लेकर एक खास तथ्य यह है कि कई देशों को अपनी चपेट मे लेने वाले करीब 60 फीसदी वायरस जानवरों से ही फैले हैं। इनमें से ज्यादातर चीन से संक्रमण आए हैं।
अफ्रीका है उदाहरण
इसका उदाहरण अफ्रीका से आया इबोला संक्रमण है। यह वायरस अफ्रीका से दुनिया में फैला। इबोला के वायरस चिंपाजी से मानव शरीर में आए थे। दरअसल, अफ्रीका में चिंपाजी को खाया जाता है, इसी वजह से वायरस मानव शरीर में पहुंचा और फिर संक्रमण बन गया।
बंदर महंगा और कुत्तों की चोरी
छिपकली, सांप, कुत्ते का मांस, जिंदा ऑक्टोपस, मच्छर के अंड़े, बंदर, चमगादड़ और गधे समेत दूसरे कई तरह के जानवर व सीफूड का मांस चीन के बाजार और चीनियों की थाली का हिस्सा रहा है। यहां एक खास तरह के बंदर का मांस काफी महंगा और बडे आयोजनों में रुतबे की बात होती है, वहीं कुत्तों के मांस की चोरी यहां आम बात है।
दुनिया का सबसे बड़ा मीट उप्तादक चीन
मांस खाने की आदत और चीन की गरीबी ने इस देश को दुनिया का सबसे अमानवीय देश और मांस का सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया। इसी वजह से यहां मांस परोसने वाले रेस्तरां में लगातार इजाफा होता जा रहा है। जानकर हैरानी होगी कि चीन का मांस बाजार करीब 150 मिलियन टन कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जित करता है।
अब कोरोना भी चीन से
अब साल 2020 में चीन के वुहान से ही कोरोना वायरस की शुरुआत हुई है, वुहान के मांस बाजार और यहां के संक्रमण से यह फैला है, यह बात साबित हो चुकी है। अब तक करीब 19 देशों में इसके मरीज सामने आए हैं। चीन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 5 हजार 974 लोग इसकी चपेट में होने की पुष्टि हो चुकी है। करीब 1 हजार 239 लोग गंभीर है। जबकि 132 मरीजों की मौत हो चुकी है। तिब्बत, अमेरिका, थाईलैंड, जर्मनी, पाकिस्तान और भारत में इसके संक्रमण मिले हैं।
- सार्स जैसी बीमारी साल 2002 में चीन से ही फैली थी। इसका वायरस सबसे पहले दक्षिणी चीन के गुआंगडॉन्ग इलाके मिला था।
- बर्ड फ्लू की शुरुआत भी चीन से ही हुई। 2013 में चीन से ही H7N9 एवियन इनफ्लुऐंजा फैला।
- 2018 में चीन के जियांग्शु इलाके से H7N4 वायरस से पीड़ित मरीज मिला।
- 2019 में चीन के शीनजियांग प्रांत से H5N6 बर्ड फ्लू पसरा।
- चीन की मीट मार्केट 150 मिलियन टन कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जित करती है।
- पूरी दुनिया में जनवरी 2020 में अब तक करीब 24,623,552 टन मीट की खपत हुई है।
- वहीं इतने मीट के प्रोडक्शन के लिए दुनियाभर में करीब 158,915,975,576 टन पानी खर्च हुआ।
- 2013 में चीन से ही H7N9 एवियन इनफ्लुऐंजा फैला।
- 2018 में चीन के जियांग्शु इलाके से H7N4 वायरस से पीड़ित मरीज मिला।
- 2019 में चीन के शीनजियांग प्रांत से H5N6 बर्ड फ्लू पसरा।
- दुनिया में फैलने वाले करीब 60 फीसदी वायरस जानवरों से ही फैले हैं।
मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020
कहानी : ताजपुर जंगल में आतंकी
-राजेश मेहरा
ताजपुर जंगल में शाम का समय था। हल्की-हल्की सर्द हवा बह रही थी। आसमान में बादल थे। ऐसा लग रहा था, जैसे बरसात होगी। सब जानवर अपना खाना खाकर तेजी से अपने-अपने घरों की तरफ जा रहे थे।
बीनू बाज भी आसमान के रास्ते अपने घोंसले की तरफ जा रहा था। आज वह अपने घोंसले से बहुत दूर आ गया था इसलिए वह जल्दी से उड़कर अपने घर पहुंचना चाहता था। अचानक उसकी निगाह नीचे एक पहाड़ी की ओट में पड़ी। उसने देखा कि चार भेड़िये अपने मुंह पर कपड़ा बांधे और अपने आपको दूसरे जानवरों से बचाते व छुपाते हुए ताजपुर के जंगल की तरफ बढ़ रहे थे।
बीनू बाज को उनकी इस हरकत पर कुछ शक हुआ। उसने एक बार तो सोचा कि मरने दो मुझे क्या? लेकिन उसने सुन रखा था कि उसके जंगल पर आने वाले नए साल के मौके पर कुछ आतंकी हमला कर सकते हैं, तो उसने उन चारों भेड़ियों की हरकत के बारे में पता लगाने का निश्चय किया।
वह धीरे से नीचे आया और एक पेड़ पर छुपकर बैठ गया। अब बीनू बाज तो उन चारों भेड़ियों को देख सकता था लेकिन वो चारों उसको नहीं देख सकते थे। वो चारों भेड़िये भी उसी पेड़ के नीचे आकर बैठ गए। काले बादलों की वजह से अंधेरा होने लगा था।
चारों भेड़ियों में से एक बोला- बस अब थोड़ी देर की बात है, जब ताजपुर जंगल के सब जानवर सो जाएंगे और फिर हम उन पर हमला कर देंगे।
दूसरा बोला- हां, सब अपने-अपने हथियार चेक कर लो। इतना कहने पर सबने अपने थैलों में छिपाई हुई आधुनिक बंदूक को निकालकर देखा और सबने एकसाथ कहा- सब ठीक है।
अब बीनू बाज भी घबरा गया और उसका शक ठीक था। अब उसने सोचा कि सब जंगल वालों को इसके बारे में बताना चाहिए जिससे कि वो अपने बचाव में कुछ कर सकें। वह तुरंत धीरे से उस पेड़ से उड़ा और अपने ताजपुर जंगल के द्वार पर पंहुचा। डर और घबराहट से वह पसीने पसीने हो रहा था।
उसको इस हालत में देखकर खेमू खरगोश बोला- अरे बीनू इतना घबराए और बदहवास से कहां भागे जा रहे हो?
इतना सुनकर बीनू बाज रुका और नीचे आकर खेमू खरगोश के पास बैठ गया। उसने जल्दी से उन आतंकी भेड़ियों की बात उसे बताई। अब खेमू खरगोश भी परेशान हो गया और काफी घबरा गया।
बीनू बाज जाने लगा और बोला- मुझे सारे जंगलवासियों को बताना पड़ेगा।
इतना सुनकर खेमू खरगोश बोला- बीनू यदि तुम ये बात सारे जंगल को बताओगे तो सारे जंगलवासी घबरा जाएंगे तथा जंगल में ज्यादा हलचल और भगदड़ मच जाएगी। इसे देखकर हो सकता है कि वो भेड़िये आज हमला ना करके फिर कभी करें और हो सकता है कि अगली बार हमें ना पता लगे कि वो कब हमला करेंगे इसलिए उन्हें हमें आज ही पकड़ना पड़ेगा और अपने जंगल को भी बचाना पड़ेगा। बीनू बाज को खेमू खरगोश की बात में दम लग रहा था।
वह थोड़ी देर चुप होकर बोला- फिर हम दोनों कैसे अकेले अपने जंगल को बचाएं?
खेमू खरगोश बोला- हम दोनों ये नहीं कर सकते इसलिए हमें और साथी लेने पड़ेंगे, हमारे पास समय है। वो लोग सबके सो जाने पर ही हमला करेंगे। अब हल्की बरसात शुरू हो चुकी थी।
इतने में खेमू खरगोश बोला- मुझे एक तरकीब सूझी है, तुम मेरे पीछे आओ।
खेमू खरगोश और बीनू बाज जल्दी से ताजपुर जंगल के सेनापति चीनासिंह चीता के पास पहुंचे और उन्हें सारी बातें जल्दी-जल्दी बताईं। वो उनकी इस बात से सहमत थे कि उन्हें हमें आज ही और बिना किसी शोर-शराबे के पकड़ना पड़ेगा।
तभी खेमू खरगोश ने उन भेड़ियों को पकड़ने की एक योजना बताई तो वो खुश हुए।
सेनापति बोला- हां, ये ठीक रहेगा। इससे हम उनको बिना किसी शोर-शराबे के पकड़ सकेंगे।
वो तीनों मिलकर अजगर भाइयों के पास पहुंचे और उनको भी सारी बातें बताईं तो वो भी झट से उनके साथ चलने को तैयार हो गए। वो सब मिलकर जुगनू के मोहल्ले में पहुंचे और उनको भी बात बताकर अपने साथ ले लिया। वो सब भी सहायता को तैयार हो गए और उनके साथ चल दिए।
अब सब मिलकर बीनू बाज के पीछे उन छुपे भेड़िये आतंकियों के ठिकाने की तरफ चल दिए। जब वो सब उन आतंकियों के पास पहुंच गए तो बीनू ने उन्हें रुकने का इशारा किया। अंधेरा काफी हो गया था और अब बरसात भी तेज थी लेकिन उन सबको दिख रहा था कि वो आतंकी वहीं छिपे हुए हैं।
अब सेनापति चीनासिंह चीता ने कहा- अब हमें अपनी योजना पर काम करना है। बीनू तुम अपनी चोंच में उठाकर इन अजगर भाइयों को पेड़ की डाल पर ठीक उन आतंकियों के सिर के ऊपर बैठाकर आओ।
सेनापति ने अजगर भाइयों को कहा कि जैसे ही ये सब जुगनू पेड़ से एकसाथ तेज रोशनी करें, तो तुम उन चारों भेड़ियों पर पेड़ पर से हमला करके दबोच लेना और उसके बाद मैं और खेमू उनको जाल डालकर कैद कर लेंगे। उन चारों ने सहमति से सिर हिलाया।
बीनू ने वैसा ही किया और एक-एक करके उन चारों अजगर भाइयों को डाल पर अपनी चोंच से ले जाकर बैठा दिया था और उन आतंकियों को अहसास भी नहीं हुआ। उसके बाद खेमू खरगोश ने जुगनू के दल की तरफ इशारा किया तो वो लोग पेड़ के ऊपर झुंड में खड़े हो गए।
जैसे ही खेमू खरगोश ने मुंह से आवाज निकाली तो तुरंत जुगनू चमकाने लगे और इतनी रोशनी हो गई कि वो आतंकी साफ दिखने लगे।
तुरंत ही चारों अजगर पेड़ से एक-एक करके उन पर झपटे। इससे पहले कि वो कुछ समझ पाते, खेमू खरगोश और सेनापति चीनासिंह चीता ने उन्हें जाल में पकड़कर कैद कर लिया और झटपट बीनू बाज ने उनके हथियार छीन लिए। वो अब पूरी तरह से कैद में थे। उनको पकड़कर उसी समय जंगल के राजा शेरसिंह के सामने पेश किया गया।
सेनापति ने सारी बात विस्तार से राजा को बताई और ये भी बताई कि इसके बारे में पहले आपको क्यों नहीं बताया गया था ताकि ज्यादा शोर-शराबा न हो और ये आतंकी भेड़िये सतर्क होकर भाग ना जाएं।
राजा ने खेमू खरगोश, बीनू बाज, अजगर भाइयों और जुगनू भाइयों को उनकी बहादुरी का इनाम दिया और उन आतंकियों को कैद में डाल दिया।
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